पंजाब की लुधियाना विधानसभा सीट पर बुधवार को यानी 19 जून को वोटिंग होनी है. लुधियाना उपचुनाव को 2027 में होने वाले पंजाब विधानसभा के चुनाव का सेमीफाइल माना जा रहा. यह उपचुनाव आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा की किस्मत का ही फैसला नहीं करेगी बल्कि अरविंद केजरीवाल के सियासी भविष्य का भी निर्णय करेगा. इसके चलते ही केजरीवाल लुधियाना में संजीव अरोड़ा को जिताने के लिए दिन रात एक किए हुए हैं.

आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट संजीव अरोड़ा उपचुनाव जीतते हैं, तभी अरविंद केजरीवाल के राज्यसभा जाने का दरवाजा खुल सकेगा, नहीं तो चार साल तक उन्हें राजनीतिक वनवास झेलना होगा. यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल ने इन दिनों संजीव अरोड़ा को उपचुनाव जिताने के लिए पंजाब में डेरा जमा रखा है और उनकी जीत पर मंत्री बनाने की गारंटी लोगों को दे रहे हैं. ऐसे में देखना है कि केजरीवाल की किस्मत लुधियाना से तय होती है कि नहीं?

लुधियाना उपचुनाव पर सियासी संग्राम

2022 के विधानसभा चुनाव में लुधियाना सीट आम आदमी पार्टी जीतने में कामयाब रही थी. आदमी पार्टी के विधायक गुरप्रीत सिंह बस्सी ‘गोगी’ के निधन हो जाने के चलते लुधियाना सीट पर उपचुनाव हो रहा है. आम आदमी पार्टी ने उपचुनाव में अपने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को प्रत्याशी बना रखा है, जो लुधियाना के एक बड़े कारोबारी हैं.

कांग्रेस से पूर्व विधायक भारत भूषण आशु मैदान में है तो शिरोमणि अकाली दल से एडवोकेट उपकार सिंह घुम्मन ने ताल ठोक रखी है. बीजेपी से जीवन गुप्ता उपचुनाव लड़ रहे हैं. इसके अलावा अकाली दल (ए) से नवनीत कुमार गोपी किस्मत आजमा रहे हैं. इस तरह से लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट पर उपचुनाव का मुकाबला काफी रोचक बन गया है.

आम आदमी पार्टी के लिए कितना अहम

लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा आम आदमी पार्टी की दांव पर लगी है. 2022 में कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी में आने वाले गुरप्रीत सिंह बस्सी गोगी विधायक बनने में कामयाब रहे, लेकिन अब उनके निधन के बाद AAP से सांसद संजीव अरोड़ा मैदान में है. दिल्ली में हार के बाद आम आदमी पार्टी के लिए लुधियाना पश्चिम का उपचुनाव जीतना साख का सवाल बन गया है.

संजीव अरोड़ा लुधियाना के बिजनेसमैन हैं, आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद हैं. ऐसे में उन्हें जिताने के लिए अरविंद केजरीवाल और सीएम भगवंत मान दिन रात एक किए हुए हैं. इसके अलावा आम आदमी पार्टी की टॉप लीडरशिप ने लुधियाना में डेरा जमा रखा है. लुधियाना पश्चिम सीट पूरी तरह शहरी इलाके में आती है, जहां पर आम आदमी पार्टी का जनाधार माना जाता है. आम आदमी पार्टी के सत्ता में रहते हुए संजीव अरोड़ा अगर उपचुनाव नहीं जीत पाते तो बड़े सवाल खड़े होंगे.

पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार के कार्यकाल के तीन साल तीन महीने पूरे हो चुके हैं. ऐसे में लुधियाना पश्चिम उपचुनाव पंजाब में आप की नीतियों के प्रति आमजन के एक परीक्षण के रूप में भी देखा जाएगा. ऐसे में केजरीवाल और आम आदमी पार्टी दोनों ही ने लुधियाना की सियासी जंग फतह करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है ताकि हर हाल में अपनी जीत का परचम फहरा सके.

अरोड़ा की जीत से तय होगा AK का भविष्य

दिल्ली की सत्ता और नई दिल्ली विधानसभा सीट गंवाने के बाद अरविंद केजरीवाल के लिए लुधियाना पश्चिम सीट का उपचुनाव सियासी भविष्य के लिए काफी अहम माना जा रहा है. आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को मैदान में उतारा है. संजीव अरोड़ा के जीतने से राज्यसभा की सीट खाली होगी, जिसके बाद ही अरविंद केजरीवाल के संसद जाने का रास्ता साफ होगा.

संजीव अरोड़ा लुधियाना सीट जीतने में सफल नहीं रहते हैं तो केजरीवाल के लिए संसदीय राजनीति का रास्ता 2029 तक नहीं बन पाएगा. दिल्ली और पंजाब दोनों ही जगह से कोई भी राज्यसभा सीट खाली नहीं हो रही है. इस बात को समझते हुए अरविंद केजरीवाल ने संजीव अरोड़ा को जिताने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है. केजरीवाल जिस तरह संजीव अरोड़ा के उपचुनाव जीतने पर उन्हें मंत्री बनाने की गारंटी दे रहे हैं, उसके सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं और उनके राज्यसभा जाने के भी इरादे के संकेत हैं.

अरविंद केजरीवाल ने लुधियाना के लोगों से अपील करते हुए कहा कि मैं ऐलान कर रहा हूं कि अगर आप 19 जून को संजीव अरोड़ा को विजय बनाते हैं तो हम 20 जून को उन्हें मंत्री बनाने का काम करेंगे. इतना ही नहीं उन्हें पंजाब सरकार में किसी बड़े मंत्रालय में एडजस्ट करने की भी गारंटी दे रहे हैं. इस तरह केजरीवाल अपने राज्यसभा जाने का रास्ता भी बना रहे हैं, जो संजीव अरोड़ा की जीत से तय होगी. यही वजह है कि पूरी आम आदमी पार्टी ने लुधियाना पश्चिम सीट पर ही फोकस कर रखा है.