पंजाब में नशे की समस्या को खत्म करने के लिए चल रहे ‘युद्ध नशे विरुद्ध’ अभियान के बीच राज्य के गवर्नर गुलाब चंद कटारिया ने एक अहम सुझाव दिया है. उन्होंने कहा कि नशे की समस्या को केवल सरकारी प्रयासों से खत्म नहीं किया जा सकता. इसके लिए समाज के हर वर्ग, जिसमें माता-पिता, शिक्षक, युवा, आम लोग और प्रशासन शामिल हैं को मिलकर काम करना होगा.

गवर्नर ने बेरोजगारी और खालीपन को नशे का प्रमुख कारण बताया. उन्होंने सुझाव दिया कि यदि युवाओं को रोजगार के अवसर और क्रिएटिव एक्टिविटीज से जोड़ा जाए तो वे नशे की लत से बच सकते हैं. गवर्नर कटारिया ने अपने बयान में कहा, ‘नशा एक सामाजिक बुराई है, जिसे खत्म करने के लिए सभी को एकजुट होना होगा. युवाओं को सही दिशा दिखाने के लिए हमें उन्हें रोजगार और पॉजिटिव एक्टिविटीज से जोड़ना होगा.’

पंजाब सरकार ने किया समर्थन

पंजाब सरकार ने गवर्नर के इस सुझाव का स्वागत किया है. ‘युद्ध नशे विरुद्ध’ अभियान की कैबिनेट सब-कमेटी के अध्यक्ष और वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने कहा कि सरकार गवर्नर के सुझाव को गंभीरता से ले रही है. उन्होंने बताया कि सरकार नशे की लत से जूझ रहे युवाओं को ट्रेनिंग देकर रोजगार के अवसर प्रदान करने की दिशा में काम कर रही है. चीमा ने कहा ‘हमारा लक्ष्य है कि नशे से प्रभावित युवाओं को नई शुरुआत का मौका मिले. इसके लिए हम उन्हें स्किल ट्रेनिंग और रोजगार के अवसर दे रहे हैं.’

‘युद्ध नशे विरुद्ध’ अभियान की प्रगति

पंजाब सरकार का दावा है कि ‘युद्ध नशे विरुद्ध’ अभियान के तहत नशे की समस्या पर काफी हद तक काबू पाया गया है. सरकार ने नशा तस्करी के खिलाफ सख्त एक्शन लिया है और नशे की लत से जूझ रहे लोगों के लिए रिहैबिलिटेशन सेंटर भी स्थापित किए हैं. इसके साथ ही युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए जागरूकता अभियान और खेल एक्टिविटीज को भी बढ़ावा दिया जा रहा है.

अब नशा-मुक्त होगा पंजाब

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि युवाओं को रोजगार और पॉजिटिव एक्टिविटीज से जोड़ा जाए, तो नशे की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है. पंजाब सरकार अब गवर्नर के सुझावों को अपने अभियान में शामिल करने की योजना बना रही है, ताकि राज्य को नशा-मुक्त बनाने का सपना साकार हो सके.