फरीदाबाद में एक शख्स के शरीर में हैं पांच किडनियां, तीसरी किडनी ट्रांसप्लांट की सर्जरी हुई
आम तौर पर एक स्वस्थ मानवीय शरीर में दो किडनियां होती हैं. आधुनिक समय में अब किडनी खराब होने पर ट्रांसप्लांट की भी प्रक्रिया है, लेकिन फरीदाबाद से एक ऐसे शख्स का मामला सामने आया है जिसके शरीर में कुल पांच किडनियां हैं. एक 47 वर्षीय शख्स ने फरीदावाद के एक निजी अस्पताल में तीसरा किडनी ट्रांसप्लांट करवाया है, जिससे अब उसके शरीर में कुल पांच किडनियां हो गई हैं. यह सर्जरी अमृता अस्पताल, फरीदाबाद में की गई, जहां देवेंद्र बारलेवार का इलाज किया गया. वह पिछले 15 वर्षों से क्रॉनिक किडनी रोग से जूझ रहे थे और 2010 तथा 2012 में उनके दो प्रत्यारोपण असफल रहे थे.
तीसरे ट्रांसप्लांट की चुनौतीपूर्ण सर्जरी
डॉ. अहमद कमाल, वरिष्ठ सलाहकार, यूरोलॉजी, ने बताया कि 2022 में कोविड-19 की जटिलताओं के कारण उनकी स्थिति और बिगड़ गई. हालांकि, जब एक 50 वर्षीय ब्रेन-डेड किसान के परिवार ने अपनी किडनी दान करने का निर्णय लिया, तो बारलेवार के लिए उम्मीद की किरण जगी.
पिछले महीने हुई इस चार घंटे लंबी सर्जरी में कई दिक्कतें आईं, क्योंकि मरीज के शरीर में पहले से ही काम ना करने वाली चार किडनियां मौजूद थीं – दो जन्मजात और दो जिसे पहले ट्रांसप्लांट करवाया था. डॉ. कमाल ने बताया कि इतनी अधिक संख्या में किडनियों की उपस्थिति के कारण इम्यून सिस्टम का खतरा बढ़ गया था, जिसके लिए विशेष इम्यूनोसप्रेशन प्रोटोकॉल अपनाए गए.
सर्जरी की जटिलताएं और सफलता
डॉ. अनिल शर्मा, वरिष्ठ सलाहकार, यूरोलॉजी, ने बताया कि मरीज के पतले शरीर और पूर्व सर्जरी के कारण पहले से बने चीरे की वजह से जगह की समस्या उत्पन्न हुई. साथ ही, इस बार की किडनी को सबसे ज्यादा ब्लड फ्लो वाले वेसल से जोड़ना था जो कि काफी ज्यादा मुश्किल भरा था.
हालांकि, हर दिक्कतों के बाद भी ट्रांसप्लांट सफल रहा, और मरीज को दस दिनों के भीतर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. डॉक्टरों के अनुसार, बारलेवार के क्रिएटिनिन स्तर दो सप्ताह के भीतर सामान्य हो गए और अब वे बिना डायलिसिस के जीवन व्यतीत कर रहे हैं.
ट्रांसप्लांट के क्या रही मरीज की प्रतिक्रिया?
बारलेवार ने कहा कि दो असफल ट्रांसप्लांट के बाद उन्होंने उम्मीद छोड़ दी थी. डायलिसिस के कारण उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अमृता अस्पताल ने उन्हें एक नया जीवन दिया. उन्होंने कहा कि अब वे अपने रोजमर्रा के कार्य खुद कर सकते हैं और उनकी सेहत में भी काफी सुधार हुआ है. यह दुर्लभ सर्जरी न केवल चिकित्सा जगत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि उन मरीजों के लिए भी एक प्रेरणा है जो क्रॉनिक किडनी रोग से जूझ रहे हैं.