अमृतसर (पंजाब)। श्री अकाल तख्त साहिब और तख्त श्री पटना साहिब के बीच पंथक संकट गहरा गया है। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल को तख्त श्री पटना साहिब ने तनखइया घोषित किया था। अब श्री अकाल तख्त ने सुखबीर बादल को तनखइया घोषित करने वाले तख्त श्री पटना साहिब के पांच प्यारों को तनखइया घोषित कर दिया। यह आदेश तख्त श्री पटना साहिब के आदेशों को काउंटर बताए जाते है। नया विवाद यह है कि कौन सा तख्त सर्वोपरि है। हालांकि अब तक यह कहा जाता रहा है कि सभी तख्त बराबर है।

गौरतलब है कि तख्त श्री पटना साहिब की ओर से श्री अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह और तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार टेक सिंह धनौला को हुक्मनामा जारी करके तख्त पटना साहिब पर अपना स्पष्टीकरण देने के आदेश दिए थे। श्री अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह ने शनिवार को आदेश जारी करके तख्त पटना साहिब के आदेशों को रद्द कर दिया। इसके साथ ही मुख्य ग्रंथी समेत कार्यकारिणी को अकाल तख्त साहिब पर तलब कर लिया है।

पांच सिंह साहिबान की बैठक में लिया फैसला

सुखबीर को तख्त श्री पटना साहिब की ओर से जारी आदेशों के बाद अकाल तख्त साहिब के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह की अगुआई में पांच सिंह साहिबान की बैठक बुलाई गई। इसमें तख्त श्री पटना साहिब के अध्यक्ष जगजोत सिंह सोही, सीनियर उपप्रधान लखविंदर सिंह, जूनियर उपप्रधान गुरविंदर सिंह, महासचिव इंद्रजीत सिंह, सदस्य गोबिंदर सिंह लौंगोवाल, राजा सिंह व सदस्य महिंदरपाल को 15 दिन के भीतर श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर स्पष्टीकरण देने का आदेश जारी कर दिया। इसके साथ सुखबीर बादल को तनखइया घोषित करने वाले पांच प्यारों को भी अकाल तख्त द्वारा तनखइया घोषित कर दिया गया।

पंजाब के तीनों तख्तों पर हैं बादल का प्रभाव

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में श्री अकाल तख्त साहिब श्री गुरु हरगोबिंद साहिब द्वारा स्थापित हैं। इसके बाद चार तख्त और अस्तित्व में आए। जिसमें पंजाब के श्री दमदमा साहिब तथा केसगढ़ साहिब हैं, वहीं पटना साहिब और तख्त श्री नांदेड़ साहिब भी शामिल हैं। पंजाब के तीनों तख्तों पर एसजीपीसी के माध्यम से अकाली दल बादल का प्रभाव है, बाकी तख्तों पर स्थानीय सरकारों का प्रभाव है। विवादों के चलते ही दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी एसजीपीसी के लिए अब चुनौती बन गई। अब राजस्थान , उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के सिख संगठनों और लोगों ने अलग होना शुरू कर दिया।
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