रायपुर: छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन में हुए 660 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच ने गति पकड़ ली है। इस मामले में तीन आईएएस अधिकारी जांच के दायरे में आ गए हैं। एसीबी और ईओडब्ल्यू ने आईएएस भीम सिंह, चंद्रकांत वर्मा और पद्मिनी भोई से पूछताछ के लिए सरकार से अनुमति मांगी थी। अब इन तीनों अधिकारियों को समन जारी कर तलब किया गया है। आईएएस अधिकारियों से पूछताछ शुरू आईएएस भीम सिंह से आज दोपहर से पूछताछ चल रही है, जो पिछले दो घंटे से चल रही है। इससे पहले बुधवार को आईएएस चंद्रकांत वर्मा से छह घंटे तक पूछताछ की गई थी। अधिकारियों से टेंडर प्रक्रिया और दस्तावेजों के बारे में पूछताछ की जा रही है। 

कैसे हुआ 660 करोड़ रुपये का घोटाला?

कांग्रेस शासन के दौरान सीजीएमएससी ने मोक्षित कार्पोरेशन के जरिए छत्तीसगढ़ के खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया। ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 2022-24 और 2023-24 के दौरान बिना बजट आवंटन के 660 करोड़ रुपये की खरीदारी की गई। 

ऑडिट रिपोर्ट में क्या मिला?

  • जरूरत से ज्यादा दवाइयां और उपकरण खरीदे गए।
  • कई अस्पतालों को ऐसी मशीनें दी गईं, जिनकी जरूरत नहीं थी।
  • 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को उपकरण दिए गए, लेकिन 350 से ज्यादा केंद्रों में भंडारण की सुविधा नहीं थी।
  • डीएचएस ने बेसलाइन सर्वे किए बिना ही खरीद कर ली।

ईओडब्ल्यू ने दर्ज की एफआईआर

ईओडब्ल्यू ने अपनी एफआईआर में स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को आरोपी बनाया है। स्वास्थ्य संचालक और सीजीएमएससी के एमडी पर भी गंभीर टिप्पणियां की गई हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही कई अफसरों की गिरफ्तारी संभव है।

सरकार को अरबों का नुकसान

ईओडब्ल्यू की शुरुआती जांच में पता चला है कि अफसरों की मिलीभगत से अरबों रुपए का गबन किया गया। इस घोटाले में शामिल लोगों पर जल्द ही कार्रवाई होने की संभावना है। छत्तीसगढ़ में सीजीएमएससी घोटाले का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। तीन आईएएस अफसरों के जांच के दायरे में आने के बाद सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इस घोटाले में गिरफ्तारी की संभावना से प्रशासन में हड़कंप है।