सनातन धर्म में प्रदोष व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. साल के हर महीने में प्रदोष का व्रत रखा जाता है. प्रदोष का व्रत भगवान शंकर को समर्पित होता है. ये व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और उपवास भी उनके निमित्त रखा जाता है.

कब रखा जाएगा व्रत
धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष का व्रत रखने से जीवन में समस्त दुखों का नाश होता है और साथ ही जीवन में सुख, समृद्धि और खुशियों का आगमन होता है. पंचांग के अनुसार, फागुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष का व्रत रखा जाएगा. तो चलिए  जानते हैं, कब है प्रदोष व्रत, क्या है सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट
अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि पंचांग के मुताबिक फागुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 11 मार्च को सुबह 8:13 पर होगी और 12 मार्च को सुबह 9:11 पर खत्म होगी. ऐसे में प्रदोष काल में पूजा मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए 11 मार्च, दिन मंगलवार को प्रदोष का व्रत रखा जाएगा, जिसमें प्रदोष काल की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6:27 से लेकर रात 8:53 तक रहेगा. इसके अलावा, ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक प्रदोष व्रत के दिन कई दुर्लभ योगों का निर्माण भी हो रहा है, जिसमें इस दिन सुकर्मा योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है.

ऐसे करें पूजा, मिलेगा पूरा फल
प्रदोष व्रत के दिन पूजन सामग्री में बेलपत्र, दही, शहद, कच्चा दूध, भांग, धतूरा, गाय का घी, दीपक, रुई-बत्ती, दूध से बनी मिठाई, आरती के लिए थाली, प्रदोष व्रत कथा की पुस्तक समेत पूजन की सभी सामग्री को एकत्रित कर विधि-विधान पूर्वक माता पार्वती और भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. पौराणिक मान्यता के अनुसार, कहा जाता है कि प्रदोष का व्रत करने से समस्त रोगों से भी मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं